क्या सच में आ गई है कोरोना वायरस की दवा
- नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार कोरोना वायरस दुनिया के 186 देशों में पहुंच चुका है. इस वायरस से दुनिया भर में चार लाख बीस हजार से ज़्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं. वहीं, पूरी दुनिया में इस वायरस से मरने वालों की संख्या 20,000 के पार पहुंच चुकी है. हालांकि, एक लाख से अधिक लोग इस बीमारी से पूरी तरह ठीक भी हुए हैं
भारत में 500 से ज्यादा लोग संक्रमित
भारत में कोविड-19 के 500 से ज्यादा मामले पाये गए हैं, जिनमें से 10 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है.
कोरोना के बढ़ते खतरे को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे
भारत में 21 दिनों तक लॉकडाउन की घोषणा की है.
- दवा ईजाद होने का दावा कितना सच?
इस महामारी के फैलने का सबसे बड़ा कारण यह है कि अब तक इसकी दवा इजाद नहीं हो सकी है. दुनिया भर में मेडिसिन क्षेत्र के वैज्ञानिक इसकी कारगर दवाई बनाने में जुटे हुए हैं. लेकिन सोशल मीडिया और दूसरे माध्यमों में ऐसी खबरें चल रही हैं कि अमेरीकी राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप ने इस वायरस की दवा बनाए जाने का दावा किया है. 21 मार्च को डोनॉल्ड ट्रंप ने ट्वीट किया-''हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन और एजिथ्रोमाइसिन का कॉम्बिनेशन मेडिसिन की दुनिया में बड़ा गेम चेंजर साबित हो सकता है. एफडीए ने ये बड़ा काम कर दिखाया है- थैंक्यू. इन दोनों एजेंट को तत्काल प्रभाव से इस्तेमाल में लाना चाहिए, लोगों की जान जा रही है.''
ट्रंप ने दावा किया कि अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन यानी एफडीए ने कोरोना वायरस की दवा खोज ली है. ट्रंप ने इसे लेकर व्हाइट हाउस की मीडिया ब्रीफिंग में भी बयान दिया. उन्होंने कहा- ''हम इस दवा को तत्काल प्रभाव से उपलब्ध कराने जा रहे हैं. एफडीए ने काफी काबिलेतारीफ काम किया. ये दवा स्वीकृत हो चुकी है.''
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क्या है ट्रंप के दावे की सच्चाई?
ईटी की फैक्ट चेक टीम ने इस बात की पड़ताल की कि क्या इन दो दवाओं का कॉम्बिनेशन कोरोना वायरस की औपचारिक दवाई है. साथ ही क्या अमेरिका के स्वास्थ विभाग की ओर से इसे स्वीकृत किया जा चुका है. ट्रंप के इस बयान के बाद 21 मार्च को ही अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने एक रिपोर्ट जारी की. इस रिपोर्ट में सीडीसी ने बताया कि कोविड-19 के मरीज़ों के लिए एफडीए ने कोई दवा अब तक अप्रूव नहीं की है. हालांकि इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका सहित कई देशों में कोविड-19 के मरीजों के लिए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन का इस्तेमाल किया जा रहा है.
हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन कितनी कारगर ?
एक अध्ययन के मुताबिक हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन के साथ एजिथ्रोमाइसिन का कॉम्बिनेशन कोरोना के असर को कम कर सकता है. इस रिपोर्ट में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन के साथ एजिथ्रोमाइसिन के इस्तेमाल को 'अनकंट्रोल बेसिस' बताया गया है. इससे साफ है कि इस कॉम्बिनेशन को औपचारिक इलाज ना माना जाए.
भारत की शीर्ष मेडिकल रिसर्च संस्था ने क्या कहा?
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के डायरेक्टर जनरल बलराम भार्गव ने 23 मार्च को संवादाता सम्मेलन में बताया, ''हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन का इस्तेमाल सिर्फ हास्पिटल वर्कर करेंगे जो कोविड-19 के मरीजों की देखभाल कर रहे हैं. या फिर अगर किसी को घर में कोई संक्रमित है तो उसकी देखभाल करने वाला ही इस दवा का सेवन करे.''
इसके अलावा ICMR ने एक प्रेस रिलीज जारी करके बताया है कि 'नेशनल टास्क फोर्स कोविड-19 का गठन किया गया है. हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन दवा वहीं ले सकते हैं जो कोविड-19 के ज्यादा जोखिम में हों.' अस्पताल में काम करने वाले वो कर्मी जो कोरोना वारयस से संक्रमित मरीज का इलाज कर रहे हों या जिनके घर कोई किसी शख्स को कोरोना पॉजिटिव पाया गया हो तो उससे संपर्क में रहने वाले भी इस दवा का सेवन कर सकता है.
ये दवा मान्यता प्राप्त डॉक्टर की सलाह पर ही दी जाएगी, लेकिन अगर इस दवा को लेने वाले व्यक्ति को कोरोना के लक्षणों के लक्षणों के अलावा कोई और परेशानी होती है तो उसे तुरंत अपने डॉक्टर को संपर्क करना होगा. ' हालांकि, एजिथ्रोमाइसिन के साथ इस दवा के कॉम्बिनेशन पर भारत में कोई बात नहीं कही गई है.
आर्सेनिक एलबम 30 में कितना दम?
भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक कोरोना वायरस का इलाज अभी तक नहीं मिल पाया है. देश में एक होम्योपैथिक दवा की भी फोटो और दवा का नाम खूब वायरल हो रहा है. इसमें दावा किया जा रहा है कि यह दवा कोरोना वायरस के इलाज में कारगर है. इस दवा का नाम आर्सेनिक एलबम 30 है.
सोशल मीडिया में चल रहे मैसेज में कहा गया है कि कोरोना वायरस एक तरह का वायरल इंफेक्शन है, जिसको होम्योपैथिक दवा आर्सेनिक एलबम 30 से नियंत्रित किया जा सकता है. सोशल मीडिया पर वायरल मैसेज में कहा गया है कि कोरोना वायरस का होम्योपैथिक इलाज इससे बीमारी से काफी हद तक बचा सकता है. कोरोना वायरस के लक्षण दिखने पर तुरंत ही डॉक्टर से संपर्क करें. इस बारे में ईटी के रिसर्च करने पर यह पाया गया कि आयुष मंत्रालय के ट्विटर हैंडल पर इस महीने इस तरह की कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है. मंत्रालय ने कोरोना वायरस से बचाव के लिए कोई दवा खाने की सलाह भी नहीं दी है.
WHO ने भी कहा, 'बिना परीक्षण वाली’दवाओं का इस्तेमाल खतरनाक
कोरोना वायरस(COVID-19) की गिरफ्त में आकर विश्वभर में सैकड़ों लोगों की जान रोजाना जा रही है. समस्या ये है कि इस वायरस से लड़ने के लिए अभी तक कोई दवा या वैक्सीन ईजाद नहीं की जा सकी है. इसलिए कई अन्य रोगों में इस्तेमाल होने वाली दवाओं का इस्तेमाल कोरोना वायरस से पीडि़त लोगों पर किया जा रहा है. हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे लेकर पूरे विश्व को चेतावनी दी है कि ऐसा करना खतरनाक साबित हो सकता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी दी कि कोविड-19 के उपचार में बिना परीक्षण वाली दवाओं का इस्तेमाल खतरनाक हो सकता है और इससे झूठी उम्मीदें जग सकती हैं. डब्ल्यूएचओ के प्रमुख टी. ए. गेब्रेयेसस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, 'देखिए, बिना सही साक्ष्य के बिना परीक्षण वाली दवाओं का इस्तेमाल करने से झूठी उम्मीदें जग सकती हैं. यह लाभ के बजाए ज्यादा नुकसान कर सकती हैं और आवश्यक दवाओं की कमी हो सकती है, जिनकी जरूरत अन्य बीमारियों के उपचार में होती हैं.'
कब तक बनेगा टीका?
ये सवाल लगातार उठ रहा है कि कोरोना वायरस से जान बचाने वाली दवा या टीका कब तक बन जाएगा. इसके लिए रिसर्च पूरे जोरों से चल रही है.
वैज्ञानिक अभी जानवरों पर रिसर्च की स्टेज पर हैं और इस साल के अंत तक इंसानों को इससे फायदा मिलने की उम्मीद कर रहे हैं. वैज्ञानिकों का दावा है कि वैक्सीन आने में एक साल का वक्त लग सकता है. लेकिन अगर वैज्ञानिकों ने इस साल कोरोना वायरस के लिए वैक्सीन बना भी ली, तो भी इसका बड़ी संख्या में उत्पादन होने में वक्त लगेगा.
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